Trap Trading (ट्रैप ट्रेडिंग ) एक ऐसी रणनीति है, जिसमें छोटे निवेशकों को भारी नुकसान होता है और बड़े खिलाड़ी मुनाफा कमाते हैं। इस लेख में हम समझेंगे कि ट्रैप ट्रेडिंग कैसे काम करती है, इसके मुख्य प्रकार क्या हैं, और इससे बचने के लिए किन रणनीतियों को अपनाना चाहिए।
Trap Trading क्या है?
Trap Trading (ट्रैप ट्रेडिंग) : ट्रेडर्स को फंसाने के तरीके और बचाव एक ऐसी रणनीति है जिसमें बड़े Traders (Institutions, Market Makers या Smart Money) छोटे Retail Traders को गलत दिशा में फंसाने के लिए Market में False Signals पैदा करते हैं। इसका मकसद छोटे निवेशकों को Fear (डर) या Greed (लालच) में लाकर गलत Entry लेने पर मजबूर करना होता है।
Market में कई बार ऐसा होता है कि Price Breakout या Breakdown करता है, जिससे Retail Traders को लगता है कि Trend शुरू हो गया है, लेकिन अचानक से Price उल्टी दिशा में चला जाता है। इस वजह से कई Traders Stop Loss Hit होने के कारण नुकसान उठा लेते हैं।
Trap Trading (ट्रैप ट्रेडिंग) के प्रकार
यहाँ हमने विस्तार में बताया है कि ट्रैप ट्रेडिंग कितने प्रकार की होती है और उनसे कैसे बचें?
1. Bull Trap (बुल ट्रैप)
जब किसी स्टॉक या इंडेक्स की कीमत रेजिस्टेंस लेवल को पार करके ऊपर जाने का संकेत देती है, लेकिन कुछ समय बाद अचानक गिर जाती है, तो इसे Bull Trap कहते हैं।

👉 Bull Trap कैसे होता है?
- ट्रेडर्स मानते हैं कि स्टॉक ब्रेकआउट कर चुका है और अब तेजी से बढ़ेगा।
- वे खरीदारी (Long Position) कर लेते हैं।
- लेकिन फिर अचानक बिकवाली (Sell-Off) होती है और प्राइस गिर जाती है।
- जो ट्रेडर्स ऊंचे दाम पर खरीदे थे, वे नुकसान में आ जाते हैं।
🔹 Example:
- Nifty 50 का रेजिस्टेंस 22,000 है।
- प्राइस 22,050 तक जाती है, जिससे लगता है कि ब्रेकआउट हो गया।
- ट्रेडर्स खरीदारी कर लेते हैं।
- लेकिन फिर मार्केट गिरकर 21,800 आ जाता है।
- यह Bull Trap कहलाता है।
बचने के तरीके:
- Fake Breakout पहचानें – वॉल्यूम कम हो तो सावधान रहें।
- Confirmation का इंतजार करें – प्राइस स्टेबल हो और रिटेस्ट पास करे तभी खरीदें।
- RSI & Divergence देखें – अगर RSI Overbought में हो और प्राइस ऊपर जाए, तो फेक ब्रेकआउट हो सकता है।
- VWAP और Volume Profile का उपयोग करें – लो वॉल्यूम पर ब्रेकआउट भरोसेमंद नहीं होता।
- Stop Loss सही जगह लगाएँ – सपोर्ट के नीचे Stop Loss रखें ताकि फेक मूव से बच सकें।
2. Bear Trap (बियर ट्रैप)
जब किसी स्टॉक या इंडेक्स की कीमत सपोर्ट लेवल को तोड़कर नीचे जाने का संकेत देती है, लेकिन कुछ समय बाद अचानक ऊपर चली जाती है, तो इसे Bear Trap Trading कहते हैं।

👉 Bear Trap कैसे होता है?
- ट्रेडर्स मानते हैं कि स्टॉक गिर रहा है और Short Selling (बेचकर मुनाफा कमाना) करते हैं।
- लेकिन कुछ समय बाद अचानक खरीदारी शुरू हो जाती है।
- प्राइस ऊपर चली जाती है और जो शॉर्ट सेलिंग कर चुके थे, उन्हें जबरदस्ती खरीदारी करनी पड़ती है (Short Covering)।
- इससे कीमत और ज्यादा बढ़ जाती है, और छोटे ट्रेडर्स नुकसान में आ जाते हैं।
🔹 Example:
- Nifty 50 का सपोर्ट 21,800 है।
- प्राइस 21,750 तक गिरती है, जिससे लगता है कि ब्रेकडाउन हो गया।
- ट्रेडर्स Short Selling कर देते हैं।
- लेकिन फिर अचानक प्राइस 22,000 तक ऊपर चली जाती है।
- यह Bear Trap कहलाता है।
बचने के बेहतरीन टिप्स:
- ब्रेकडाउन पर तुरंत शॉर्ट न करें – पहले देख लें कि प्राइस सपोर्ट के नीचे टिकता है या वापस ऊपर आता है।
- वॉल्यूम पर ध्यान दें – अगर ब्रेकडाउन कम वॉल्यूम पर हो रहा है, तो यह फेक मूव हो सकता है।
- RSI & MACD देखें – अगर RSI Oversold है और MACD में बुलिश डाइवर्जेंस दिख रहा है, तो गिरावट झूठी हो सकती है।
- VWAP और ओपन इंटरेस्ट (OI) ट्रैक करें – बड़े प्लेयर्स का मूव समझें, ताकि मैनिपुलेशन से बच सकें।
- स्मार्ट स्टॉप लॉस लगाएँ – पिछले सपोर्ट के थोड़ा ऊपर SL रखें ताकि वॉशआउट से बच सकें।
Bull Trap vs Bear Trap का अंतर
फीचर | Bull Trap 🐂 | Bear Trap 🐻 |
---|---|---|
कैसे होता है? | जब प्राइस रेजिस्टेंस को पार करती है लेकिन फिर गिर जाती है | जब प्राइस सपोर्ट को तोड़ती है लेकिन फिर ऊपर चली जाती है |
कौन फंसते हैं? | खरीदार (Buyers) | बेचने वाले (Short Sellers) |
किस दिशा में होता है? | ऊपर जाने का फेक संकेत देता है | नीचे जाने का फेक संकेत देता है |
मार्केट मूवमेंट | पहले ऊपर, फिर नीचे | पहले नीचे, फिर ऊपर |
बचने का तरीका | रीटेस्ट और वॉल्यूम चेक करें | रीटेस्ट और इंडिकेटर्स चेक करें |
3. Fake Breakout
Example 1: Resistance पर Fake Breakout (Bull Trap in Trading)
- मान लीजिए Reliance Stock ₹2500 के Resistance पर बार-बार रुक रहा है।
- अचानक एक दिन Price ₹2510 तक चला जाता है, जिससे छोटे Traders को लगता है कि Breakout हो गया और वे BUY Trade ले लेते हैं।
- लेकिन कुछ ही समय बाद Price ₹2480 गिर जाता है, जिससे उनका Stop Loss Hit हो जाता है और उन्हें Loss होता है।
बड़े Players ने पहले Price को Resistance से ऊपर भेजा ताकि Retail Traders Buy करें। जैसे ही छोटे Traders ने Buy किया, बड़े Traders ने Sell कर दिया और Price नीचे गिर गया। इसका मकसद Stop Loss Hunting करना और छोटे Traders को फंसाना था।
Example 2: Support पर Fake Breakout (Bear Trap in Trading)
- मान लीजिए Nifty 50 Index का Support Level 19,500 पर है।
- अचानक Price 19,480 तक गिर जाता है, जिससे छोटे Traders को लगता है कि Market नीचे जाएगा और वे SELL Trade ले लेते हैं।
- लेकिन थोड़ी देर बाद Price 19,600 तक ऊपर चला जाता है, जिससे छोटे Traders को Loss हो जाता है।
बड़े Traders ने पहले Price को Support के नीचे गिराया ताकि छोटे Traders घबरा कर Sell करें। जैसे ही छोटे Traders ने Sell किया, बड़े Traders ने Buy कर लिया और Market वापस ऊपर चला गया। इसका मकसद Retail Traders को भ्रमित करना और उनके Stop Loss को Trigger करना था।
4. स्टॉप लॉस हंटिंग (Stop Loss Hunting)
स्टॉप लॉस हंटिंग एक ऐसी Trap Trading रणनीति है जिसमें बड़े संस्थागत निवेशक या मार्केट मेकर जानबूझकर किसी स्टॉक या वित्तीय साधन की कीमत को उस स्तर तक ले जाते हैं जहां रिटेल निवेशकों ने अपने स्टॉप लॉस ऑर्डर सेट किए होते हैं। इस प्रक्रिया का उद्देश्य इन स्टॉप लॉस ऑर्डर्स को ट्रिगर करना होता है, जिससे बाजार में अस्थिरता बढ़ती है और बड़े निवेशकों को लाभ कमाने का अवसर मिलता है।
स्टॉप लॉस हंटिंग कैसे काम करता है?
- बड़े निवेशक तकनीकी विश्लेषण के माध्यम से उन समर्थन (Support) और प्रतिरोध (Resistance) स्तरों की पहचान करते हैं जहां खुदरा निवेशकों के स्टॉप लॉस ऑर्डर होने की संभावना होती है।
- कीमत में हेरफेर: वे बड़े वॉल्यूम में ट्रेड करके कीमत को इन स्तरों तक पहुंचाते हैं, जिससे स्टॉप लॉस ऑर्डर्स सक्रिय हो जाते हैं।
- अस्थिरता और तरलता में वृद्धि: स्टॉप लॉस ऑर्डर्स के ट्रिगर होने से बिक्री का दबाव बढ़ता है, जिससे कीमतों में तेजी से बदलाव होता है और बाजार में तरलता बढ़ती है।
- लाभ अर्जन: बड़े निवेशक इस अस्थिरता का फायदा उठाकर कम कीमत पर खरीदारी या उच्च कीमत पर बिक्री करते हैं, जिससे उन्हें लाभ होता है।
स्टॉप लॉस हंटिंग से बचने के उपाय
- स्टॉप लॉस को स्पष्ट स्तरों से दूर रखें: अपने स्टॉप लॉस ऑर्डर को Support या रेसिस्टेंस से थोड़ा दूर सेट करें ताकि वे आसानी से ट्रिगर न हों।
- विस्तृत स्टॉप लॉस का उपयोग करें: छोटे Stop loss के बजाय थोड़ा बड़ा स्टॉप लॉस सेट करें, जिससे छोटे मोटे price movement से बचा जा सके।
- मल्टी-टाइमफ्रेम analysis करें: अलग-अलग समयसीमा के चार्ट का अध्ययन करें ताकि बाजार की व्यापक तस्वीर समझ सकें और स्टॉप लॉस हंटिंग की पहचान कर सकें।
- मनोवैज्ञानिक स्तरों से अवगत रहें: उन स्तरों की पहचान करें जहां स्टॉप लॉस ऑर्डर्स की अधिक संभावना होती है और वहां सतर्क रहें।
5. Pump & Dump Trap Trading
Pump & Dump Strategy Trap Trading एक प्रकार की ट्रेडिंग रणनीति है, जिसमें धोखाधड़ी (scam) का तत्व शामिल होता है। इसमें कुछ लोग या समूह किसी स्टॉक, क्रिप्टोकरेंसी या अन्य एसेट की कीमत को कृत्रिम रूप से बढ़ाते (Pump) हैं और फिर अचानक उसे बेचकर (Dump) भारी मुनाफा कमाते हैं, जिससे अन्य ट्रेडर्स को नुकसान होता है।
Pump & Dump Strategy मुख्य रूप से अनियमित बाजारों (जैसे क्रिप्टो, पेनी स्टॉक्स) में देखने को मिलती है
Pump & Dump कैसे काम करता है?
- Pump (कीमत बढ़ाना)
- किसी कम वैल्यू वाले स्टॉक या क्रिप्टो को चुनकर, एक समूह इसे खरीदना शुरू करता है।
- सोशल मीडिया, फेक न्यूज, ग्रुप चैट्स, और इनफ्लुएंसर्स के जरिए इसे प्रमोट किया जाता है।
- आम निवेशक (retail traders) इसे देखकर खरीदारी करने लगते हैं, जिससे कीमत और ऊपर जाती है।
- Dump (कीमत गिराना)
- जब कीमत ऊँचाई पर पहुँच जाती है, तब “Pump & Dump” करने वाले लोग अपने होल्डिंग्स को बेच देते हैं।
- अचानक भारी सेलिंग के कारण कीमत गिर जाती है।
- जो रिटेल निवेशक ऊँची कीमत पर खरीदते हैं, वे फंस जाते हैं और उन्हें बड़ा नुकसान होता है।
Pump & Dump से बचने के लिए क्या करें?
- DYOR (Do Your Own Research): किसी भी स्टॉक या क्रिप्टो में निवेश करने से पहले उसकी वैधता की जांच करें।
- FOMO से बचें: बिना पूरी जानकारी के सिर्फ प्रॉफिट के लालच में न आएं।
- Low Volume Assets से सावधान रहें: छोटे मार्केट कैप और कम ट्रेडिंग वॉल्यूम वाले एसेट्स में Pump & Dump का खतरा ज्यादा होता है।
- सिग्नल ग्रुप्स से बचें: कई टेलीग्राम, व्हाट्सएप और सोशल मीडिया ग्रुप फेक प्रमोशन करते हैं।
- स्टॉप-लॉस सेट करें: अगर आप ट्रेडिंग कर रहे हैं तो हमेशा स्टॉप-लॉस लगाएं ताकि अचानक गिरावट से बचा जा सके।
- Price और Volume दोनों की तुलना करें, अगर Volume कम है तो Pump & Dump का संकेत हो सकता है।
- RSI और MACD जैसी Indicators का उपयोग करें ताकि Overbought स्थिति में न फंसें।
Conclusion (निष्कर्ष):
ट्रैप ट्रेडिंग मार्केट का एक कड़वा सच है, जिसमें अनुभवहीन ट्रेडर्स अक्सर बड़े खिलाड़ियों के जाल में फंस जाते हैं। लेकिन अगर आप प्राइस एक्शन, वॉल्यूम एनालिसिस, मार्केट सेंटिमेंट और स्मार्ट ट्रेडिंग स्ट्रेटजी का सही इस्तेमाल करें, तो इन जालों से आसानी से बच सकते हैं। हमेशा ब्रेकआउट की पुष्टि करें, FOMO से बचें, और स्टॉप लॉस का सही उपयोग करें। स्मार्ट ट्रेडिंग ही आपको इस मैनिपुलेटिव मार्केट में सफल बना सकती है।