Equity Shares क्या हैं? पूरी जानकारी और फायदे-नुकसान

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Equity Shares

Equity Shares शेयर बाजार में निवेश करने वाले अधिकांश निवेशकों के लिए सबसे लोकप्रिय विकल्पों में से एक हैं। ये शेयर किसी कंपनी में स्वामित्व (Ownership) का प्रतिनिधित्व करते हैं और निवेशकों को कंपनी के मुनाफे में हिस्सेदारी देते हैं। जब कोई व्यक्ति किसी कंपनी के इक्विटी शेयर खरीदता है, तो वह उस कंपनी का आंशिक मालिक बन जाता है और उसे वोटिंग अधिकार भी मिलते हैं, जिससे वह कंपनी के महत्वपूर्ण निर्णयों में भाग ले सकता है।

इस लेख में, हम विस्तार से जानेंगे कि इक्विटी शेयर क्या होते हैं, वे कैसे काम करते हैं, उनके फायदे और नुकसान क्या हैं, और किस तरह से एक निवेशक इसमें निवेश कर सकता है। अगर आप भी शेयर बाजार में निवेश करने की सोच रहे हैं, तो यह लेख आपके लिए उपयोगी साबित हो सकता है।

इक्विटी शेयर क्या होते हैं?

इक्विटी शेयर (Equity Shares) किसी कंपनी के स्वामित्व में हिस्सेदारी को दर्शाते हैं। जब कोई व्यक्ति या निवेशक किसी कंपनी के इक्विटी शेयर खरीदता है, तो वह उस कंपनी का आंशिक मालिक बन जाता है। इसे सामान्य शेयर (Common Shares) भी कहा जाता है।

Equity Shares कैसे काम करते हैं?

इक्विटी शेयर बाजार में खरीद-फरोख्त के माध्यम से काम करते हैं और निवेशकों को किसी कंपनी में स्वामित्व प्रदान करते हैं। जब कोई कंपनी अपने व्यवसाय के लिए धन जुटाना चाहती है, तो वह प्रारंभिक सार्वजनिक प्रस्ताव (IPO – Initial Public Offering) के माध्यम से शेयर जारी करती है। इसके बाद ये शेयर स्टॉक एक्सचेंज पर सूचीबद्ध (Listed) हो जाते हैं और निवेशक इन्हें खरीद या बेच सकते हैं।

1. कंपनी के फंडिंग और शेयर जारी करने की प्रक्रिया

(i) IPO (Initial Public Offering) – प्रारंभिक सार्वजनिक प्रस्ताव

  • जब कोई कंपनी पहली बार सार्वजनिक रूप से अपने शेयर बेचती है, तो इसे IPO कहते हैं।
  • निवेशक इस IPO में भाग लेकर कंपनी के शेयर खरीद सकते हैं।
  • IPO के बाद कंपनी के शेयर स्टॉक एक्सचेंज (जैसे BSE, NSE) पर सूचीबद्ध हो जाते हैं।

(ii) FPO (Follow-on Public Offering) – फॉलो-ऑन सार्वजनिक प्रस्ताव

  • यदि कंपनी को और अधिक पूंजी की आवश्यकता होती है, तो वह पहले से सूचीबद्ध होने के बाद और शेयर जारी कर सकती है।

2. स्टॉक एक्सचेंज पर ट्रेडिंग प्रक्रिया

(i) खरीद और बिक्री (Trading in the Stock Market)

  • स्टॉक एक्सचेंज (जैसे BSE, NSE) पर शेयर खरीदे और बेचे जाते हैं।
  • निवेशक ब्रोकर या डिमैट अकाउंट के माध्यम से शेयर खरीदते हैं।
  • शेयर की कीमतें मांग और आपूर्ति (Demand & Supply) के आधार पर बदलती रहती हैं।

(ii) शेयर की कीमतें कैसे तय होती हैं?

  • शेयर की कीमतें बाजार की परिस्थितियों, कंपनी के प्रदर्शन, अर्थव्यवस्था, और निवेशकों की भावनाओं के अनुसार ऊपर-नीचे होती रहती हैं।
  • यदि कंपनी अच्छा प्रदर्शन कर रही है और अधिक निवेशक उसके शेयर खरीद रहे हैं, तो शेयर की कीमत बढ़ती है।
  • अगर कंपनी को घाटा हो रहा है या नकारात्मक खबरें आती हैं, तो शेयर की कीमत गिर सकती है।

3. इक्विटी शेयरधारकों के अधिकार

(i) लाभांश (Dividend)

  • यदि कंपनी लाभ कमाती है, तो वह अपने लाभ का कुछ हिस्सा शेयरधारकों को लाभांश के रूप में देती है।
  • सभी कंपनियां लाभांश (Dividend) नहीं देतीं; कुछ कंपनियां अपने मुनाफे को फिर से व्यवसाय में निवेश कर सकती हैं।

(ii) मताधिकार (Voting Rights)

  • शेयरधारकों को कंपनी के महत्वपूर्ण निर्णयों में वोट देने का अधिकार होता है, जैसे कि निदेशक मंडल का चुनाव।

(iii) पूंजी लाभ (Capital Gains)

  • जब शेयर की कीमत बढ़ती है और निवेशक उसे अधिक कीमत पर बेचता है, तो उसे पूंजी लाभ (Capital Gain) होता है।

4. इक्विटी शेयर में निवेश कैसे करें?

(i) डिमैट और ट्रेडिंग अकाउंट खोलें

  • निवेश करने के लिए डिमैट अकाउंट और ट्रेडिंग अकाउंट होना जरूरी है।
  • Zerodha, Upstox, Angel One, Groww जैसी कंपनियों से अकाउंट खोला जा सकता है।

(ii) सही शेयर चुनें

  • निवेश करने से पहले कंपनी की वित्तीय स्थिति, बैलेंस शीट, और भविष्य की संभावनाओं का विश्लेषण करें।

(iii) बाजार की रणनीति अपनाएँ

  • लॉन्ग-टर्म निवेश: दीर्घकालिक दृष्टि से निवेश करें, जिससे अच्छा रिटर्न मिल सकता है।
  • शॉर्ट-टर्म ट्रेडिंग: दिनभर के उतार-चढ़ाव में ट्रेडिंग करके भी लाभ कमाया जा सकता है।

5. इक्विटी शेयर के फायदे और जोखिम

फायदेजोखिम
उच्च रिटर्न की संभावनाबाजार में अस्थिरता (Volatility)
मुद्रास्फीति (Inflation) से सुरक्षाकंपनी के प्रदर्शन पर निर्भरता
लिक्विडिटी (Liquidity)दिवालियापन (Bankruptcy) की संभावना
स्वामित्व और मताधिकारकोई निश्चित लाभांश गारंटी नही

इक्विटी शेयर के प्रकार

इक्विटी शेयर को विभिन्न श्रेणियों में बांटा जा सकता है, जो निवेशकों की जरूरतों और कंपनी की रणनीतियों के आधार पर अलग-अलग होते हैं। मुख्य रूप से इक्विटी शेयर के निम्नलिखित प्रकार होते हैं:

1. वोटिंग अधिकार के आधार पर

(i) साधारण इक्विटी शेयर (Common Equity Shares)

  • यह सबसे आम प्रकार के शेयर होते हैं।
  • शेयरधारकों को मताधिकार (Voting Rights) मिलता है, जिससे वे कंपनी के महत्वपूर्ण निर्णयों में भाग ले सकते हैं।
  • कंपनी के लाभ या हानि के आधार पर इन शेयरों का मूल्य बदलता रहता है।
  • यदि कंपनी बंद हो जाती है, तो इन शेयरधारकों को भुगतान अन्य दावेदारों (जैसे ऋणदाताओं) के बाद ही किया जाता है।

(ii) भिन्न मताधिकार वाले शेयर (Differential Voting Rights – DVR Shares)

  • इनमें कुछ शेयरों को अधिक या कम वोटिंग अधिकार दिए जाते हैं।
  • कंपनियां इस प्रकार के शेयर उन निवेशकों के लिए जारी करती हैं जो लंबी अवधि के लिए निवेश करना चाहते हैं, लेकिन कंपनी के निर्णयों में ज्यादा हस्तक्षेप नहीं करना चाहते।
  • उदाहरण: Tata Motors DVR Shares

2. लाभांश (Dividend) के आधार पर

(i) वरीयता प्राप्त इक्विटी शेयर (Preferred Equity Shares)

  • इन्हें आमतौर पर प्रेफरेंस शेयर कहा जाता है।
  • साधारण इक्विटी शेयरों की तुलना में इन पर पहले लाभांश दिया जाता है।
  • हालांकि, इनके पास आमतौर पर वोटिंग अधिकार नहीं होते हैं।
  • यदि कंपनी बंद होती है, तो इन शेयरधारकों को पहले भुगतान मिलता है, जबकि साधारण शेयरधारकों को अंत में।

(ii) गैर-वरीयता इक्विटी शेयर (Non-Preferred Equity Shares)

  • यह आमतौर पर साधारण शेयर (Common Shares) होते हैं।
  • इन्हें केवल तब लाभांश मिलता है जब कंपनी लाभ में होती है और प्रेफरेंस शेयरधारकों को भुगतान हो चुका हो।

3. स्वामित्व अवधि के आधार पर

(i) बोनस शेयर (Bonus Shares)

  • जब कोई कंपनी अपने शेयरधारकों को उनके मौजूदा शेयरों के अनुपात में मुफ्त में अतिरिक्त शेयर देती है, तो इसे बोनस शेयर कहा जाता है।
  • कंपनी अपने लाभांश का भुगतान नकद में न करके बोनस शेयर के रूप में कर सकती है।
  • उदाहरण: अगर आपके पास 100 शेयर हैं और कंपनी 1:1 बोनस देती है, तो आपके पास 200 शेयर हो जाएंगे।

(ii) राइट्स शेयर (Rights Shares)

  • जब कंपनी अपने मौजूदा शेयरधारकों को विशेष छूट पर नए शेयर खरीदने का अवसर देती है, तो इसे राइट्स शेयर कहा जाता है।
  • यह छूट बाजार मूल्य से कम होती है और मौजूदा शेयरधारकों को प्राथमिकता दी जाती है।
  • उदाहरण: अगर कंपनी 1:2 राइट्स इशू करती है, तो मौजूदा निवेशक प्रत्येक 2 शेयरों पर 1 अतिरिक्त शेयर खरीद सकते हैं।

(iii) ईएसओपी (Employee Stock Ownership Plan – ESOPs)

  • कंपनी अपने कर्मचारियों को रियायती मूल्य पर शेयर खरीदने का अवसर देती है।
  • इससे कर्मचारियों को कंपनी से जोड़कर रखने में मदद मिलती है।

4. मूल्य और प्रदर्शन के आधार पर

(i) ब्लू-चिप शेयर (Blue Chip Shares)

  • ये शेयर बड़ी और मजबूत वित्तीय स्थिति वाली कंपनियों के होते हैं।
  • आमतौर पर कम जोखिम और नियमित लाभांश देने वाली कंपनियों के शेयर होते हैं।
  • उदाहरण: Reliance Industries, TCS, HDFC Bank

(ii) ग्रोथ शेयर (Growth Shares)

  • इन कंपनियों का मुनाफा तेजी से बढ़ता है और वे भविष्य में अधिक रिटर्न देने की संभावना रखती हैं।
  • इन कंपनियों का लाभांश कम हो सकता है क्योंकि वे अपना मुनाफा बिजनेस विस्तार में लगाती हैं।
  • उदाहरण: Zomato, Nykaa, Tesla

(iii) वैल्यू शेयर (Value Shares)

  • ऐसे शेयर जिनकी कीमत उनके वास्तविक मूल्य से कम होती है, लेकिन उनमें भविष्य में बढ़ने की क्षमता होती है।
  • ये निवेशकों को कम कीमत पर अच्छे शेयर खरीदने का मौका देते हैं।
  • उदाहरण: ITC, Coal India, ONGC

(iv) पेनी स्टॉक्स (Penny Stocks)

  • ये छोटे और नए व्यवसायों के शेयर होते हैं, जिनकी कीमत बहुत कम होती है (₹10 से कम)।
  • इनमें जोखिम अधिक होता है, लेकिन अगर सही कंपनी चुनी जाए तो ये बहुत अधिक रिटर्न भी दे सकते हैं।
  • उदाहरण: Suzlon Energy, Alok Industries

निष्कर्ष

आशा है अब आप समझ चुके होंगे की Equity Shares क्या हैं? Equity Shares के फायदे-नुकसान क्या है? आप कमेंट में हमें अपनी राय दे सकते है।

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