बैलेंस शीट कैसे पढ़ें? How to read company balance sheet

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बैलेंस शीट कैसे पढ़ें

बैलेंस शीट कैसे पढ़ें, एक निवेशक को यह समझना अत्यंत आवश्यक है क्योकि Balance Sheet द्वारा किसी Company की वित्तीय स्थिति (Financial condition) को अच्छी तरीके से समझा जा सकता है।

बैलेंस शीट (Balance Sheet) एक निवेशक को Company की वित्तीय मजबूती और स्थिरता (Financial Strength and Stability) का आकलन करने में मदद करता है। शेयर मार्केट सीखने की राह में बैलेंस शीट (Balance Sheet) पढ़ने की कला आनी भी आवश्यक है।

Disclaimer
यह आर्टिकल सिर्फ शैक्षिक और जानकारी देने के उद्देश्य से है। इसमें दी गई जानकारी को किसी भी निवेश या वित्तीय निर्णय के रूप में नहीं लिया जाना चाहिए। किसी भी वित्तीय निर्णय से पहले पेशेवर सलाहकार से परामर्श करना जरूरी है। लेखक या वेबसाइट इस जानकारी के उपयोग से उत्पन्न किसी भी नुकसान के लिए जिम्मेदार नहीं होंगे।

Balance Sheet क्या है?

बैलेंस शीट (Balance Sheet) एक वित्तीय विवरण (Financial Statement) है जो किसी संगठन, व्यवसाय, या व्यक्ति की वित्तीय स्थिति को एक निश्चित समय पर दर्शाता है। यह दिखाती है कि कंपनी के पास कितनी संपत्तियां (Assets) हैं, उसकी कितनी देनदारियां (Liabilities) हैं, और उसकी कुल नेट वर्थ या इक्विटी (Equity) कितनी है। इसे अकाउंटिंग की भाषा में “वित्तीय स्थिति का विवरण” भी कहा जाता है।

बैलेंस शीट कैसे पढ़ें?

चाहे आप एक नए निवेशक हों या व्यवसाय प्रबंधन में रुचि रखते हों, बैलेंस शीट को सही तरीके से पढ़ने का कौशल आपके निर्णय लेने की क्षमता को मजबूत करेगा। इस लेख में हम यह एक कंपनी की Balance Sheet को समझेंगे और जानेंगे कि बैलेंस शीट कैसे पढ़ें।

बैलेंस शीट कैसे पढ़ें (how to read company balance sheet in hindi)? यह समझने से पहले हमें यह समझ लेना होगा कि बैलेंस शीट (Balance Sheet) के लितने भाग होते है?

  1. एसेट्स (Assets)
  2. लायबिलिटीज (Liabilities)
  3. इक्विटी (Equity)

इस प्रकार बैलेंस शीट में मुख्यतः तीन भाग होते है। चलिए अब जानते है कि इन अलग अलग भाग को समझकर बैलेंस शीट कैसे पढ़ें?

एसेट्स (Assets) वाला भाग

Balance Sheet का Assets वाला हिस्सा, कंपनी के पास जो भी मूल्यवान संसाधन हैं, उनका विस्तृत विवरण होता है। ये assets कंपनी की वित्तीय स्थिति को समझने में मदद करते हैं। Assets को दो मुख्य श्रेणियों में बाँटा जाता है: Current Assets और Non-Current Assets (Fixed Assets)

Assets part in balance sheet

Non-Current Assets (दीर्घकालिक संसाधन या स्थिर संसाधन):

  • ये वो assets होते हैं जो कंपनी को दीर्घकालिक लाभ देते हैं (1 साल से अधिक)।
  • उदाहरण:
    • Property, Plant, and Equipment (PP&E): कंपनी की ज़मीन, इमारत, मशीनरी, वाहन, आदि।
    • Intangible Assets: ये वो assets होते हैं जो भौतिक रूप में नहीं होते, लेकिन मूल्य रखते हैं। जैसे पैटेंट्स, ट्रेडमार्क, गुडविल, आदि।
    • Investments: अगर कंपनी ने अन्य व्यवसायों में दीर्घकालिक निवेश किया हो।

उदाहरण:

जैसा कि ITC के 31 मार्च 2023 की बैलेंस शीट में दिखाया गया है, गैर-चालू संपत्तियों का कुल मूल्य ₹47,058.30 करोड़ है, जिसमें प्रमुख योगदान प्रॉपर्टी, प्लांट और इक्विपमेंट (₹20,491.32 करोड़) का है।

Current Assets (चालू संसाधन):

ये वो assets होते हैं जो 1 साल के अंदर नकद या तरल रूप में बदल सकते हैं। इनमे निम्न assets शामिल है।

  • Cash and Cash Equivalents: कंपनी के पास जो भी नकद है या जो आसानी से नकद में बदल सकते हैं, जैसे बैंक बैलेंस।
  • Accounts Receivable: वो पैसा जो कंपनी को ग्राहकों से मिलना है (यानि उनके पास जो बकाया इनवॉइस हैं)।
  • Inventory: कंपनी के पास जो माल या उत्पाद हैं, जो बेचे जाने हैं।
  • Prepaid Expenses: कुछ खर्चे जो कंपनी ने अग्रिम रूप में चुका दिए हैं (जैसे बीमा प्रीमियम)।

उदाहरण:

ITC की 31 मार्च 2023 की बैलेंस शीट के अनुसार, चालू संपत्तियों का कुल मूल्य ₹35,203.44 करोड़ है, जिसमें प्रमुख योगदान भंडार (₹10,593.90 करोड़) और नकद व बैंक बैलेंस (₹3,624.38 करोड़) का है।

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EQUITY AND LIABILITIES का भाग:

किसी भी कंपनी की बैलेंस शीट उसकी वित्तीय स्थिति को समझने का सबसे महत्वपूर्ण दस्तावेज है। इसमें दो मुख्य हिस्से होते हैं – एसेट्स (संपत्तियां) और लायबिलिटीज (देयताएं)। इस लेख में, हम एक कंपनी की बैलेंस शीट के “Equity and Liabilities” सेक्शन का विश्लेषण करेंगे।

Equity and Liabilities part in balance sheet

इक्विटी (Equity)

इक्विटी का अर्थ है कंपनी के मालिकों की हिस्सेदारी। इसमें दो मुख्य भाग शामिल होते हैं:

  1. Equity Share Capital (इक्विटी शेयर पूंजी):
    यह वह पूंजी है जिसे कंपनी ने शेयरधारकों से जुटाया है। उदाहरण के लिए, ऊपर दी गई बैलेंस शीट में, कंपनी की इक्विटी शेयर पूंजी ₹1242.80 करोड़ है। यह पूंजी कंपनी के विकास और विस्तार के लिए उपयोग की जाती है।
  2. Other Equity (अन्य इक्विटी):
    यह कंपनी की बची हुई आय, रिज़र्व्स, और अन्य फंड्स को दर्शाता है। बैलेंस शीट में यह ₹66351.00 करोड़ है। यह आंकड़ा दर्शाता है कि कंपनी का प्रदर्शन मजबूत है और उसने लाभ अर्जित किया है।

Non-Current Liabilities (Long-Term Liabilities):

Non-Current Liabilities वो liabilities हैं जो 1 साल से ज्यादा time में pay करनी होती हैं।

  • दीर्घकालिक ऋण (Long-term loans): बैंक या वित्तीय संस्थानों से लिए गए ऋण जो एक वर्ष से अधिक समय में चुकाए जाते हैं।
  • बॉन्ड्स पेयबल (Bonds Payable): निवेशकों से उधार ली गई राशि जिसे भविष्य में चुकाना होता है।
  • लीज देनदारियां (Lease Liabilities): दीर्घकालिक किरायेदारी समझौतों से उत्पन्न दायित्व।
  • निवृत्ति लाभ दायित्व (Retirement Benefit Obligations): कर्मचारियों को भविष्य में दिए जाने वाले पेंशन या अन्य लाभ।
  • अन्य दीर्घकालिक देनदारियां (Other Long-term Liabilities): जैसे ग्राहकों से अग्रिम में ली गई राशि जो लंबी अवधि के बाद सेवाओं/उत्पादों के लिए चुकानी हो।

उदाहरण के स्वरुप ITC की 31 मार्च 2023 की बैलेंस शीट के अनुसार गैर-वर्तमान देनदारियों में ₹3.28 करोड़ ऋण, ₹273.59 करोड़ पट्टे देनदारियां और ₹1621.13 करोड़ स्थगित कर देनदारियां (Deferred tax liabilities (Net)) शामिल हैं।

Current Liabilities (वर्तमान देनदारियां):

Current Liabilities (वर्तमान देनदारियां) वे दायित्व या भुगतान होते हैं, जिन्हें एक वित्तीय वर्ष (सामान्यतः 12 महीने) के भीतर पूरा करना आवश्यक होता है। ये किसी संगठन के अल्पकालिक वित्तीय दायित्वों को दर्शाते हैं।

  • बिल देय (Bills Payable): अल्पकालिक व्यापारिक देनदारियां।
  • खाता देय (Accounts Payable): आपूर्तिकर्ताओं से लिए गए उत्पादों या सेवाओं का भुगतान, जो अभी तक चुकाया नहीं गया है।
  • अल्पकालिक ऋण (Short-term Loans): बैंक या अन्य वित्तीय संस्थानों से लिए गए ऋण, जो एक वर्ष के भीतर चुकाए जाने हैं।
  • कर्मचारी वेतन देय (Salaries/Wages Payable): कर्मचारियों का भुगतान जो अभी तक नहीं किया गया है।
  • ब्याज देय (Interest Payable): किसी ऋण या बांड पर देय ब्याज जो अभी चुकाना है।
  • टैक्स देय (Taxes Payable): सरकार को चुकाने के लिए बकाया कर।
  • अन्य देनदारियां (Other Payables): जैसे कि ग्राहक से अग्रिम ली गई राशि, जिसे सेवा या उत्पाद प्रदान करके समायोजित करना है।

वर्तमान देनदारियों में ₹137.50 करोड़, माइक्रो एंटरप्राइजेज की व्यापार देनदारियां, ₹4213.76 करोड़ अन्य व्यापार देनदारियां और ₹776.13 करोड़ कर देनदारियां सम्मिलित हैं।

Balance Sheet में Liabilities के total टोटल को दोनों कैटेगोरीज़ (करंट और नॉन-करेन्ट) में डिवाइड किया जाता है, ताकि यह समझ सकें कि कंपनी को किस हिसाब से अपने ऑब्लिगेशन को पे करना है, और कितनी देनदारियां लॉन्ग-टर्म में हैं।

बैलेंस शीट पढ़कर निवेश का निर्णय कैसे लें

ऊपर आपने यह जाना कि बैलेंस शीट कैसे पढ़ें (how to read company balance sheet) अब हम यह समझेंगे कि किसी कंपनी की बैलेंस शीट से निवेश के लिए निर्णय कैसे लें।

ITC की 31 मार्च 2023 की बैलेंस शीट को देखकर हम कुछ अच्छे और कुछ बुरे पहलुओं की पहचान कर सकते हैं। यहां कुछ विश्लेषण किया गया है:

अच्छा (Positive Points):

  1. कुल संपत्ति का बढ़ना:
    • 31 मार्च, 2023 को कुल संपत्ति 82,261.74 करोड़ रुपये है, जो 31 मार्च, 2022 की तुलना में अधिक है (75,092.50 करोड़ रुपये)। इसका मतलब यह है कि कंपनी ने अपनी संपत्ति बढ़ाई है, जो सकारात्मक संकेत हो सकता है।
  2. तरलता (Liquidity):
    • कंपनी के पास कैश और समकक्ष (Cash and Cash equivalents) के रूप में 206.88 करोड़ रुपये हैं, जो कि कोई भी आपात स्थिति या वर्तमान कार्यशील पूंजी की जरूरतों को पूरा करने के लिए अच्छा है।
  3. इन्वेंट्री का विस्तार:
    • इन्वेंट्री में 10,593.90 करोड़ रुपये की बढ़ोतरी हुई है, जो कंपनी के संचालन के लिए जरूरी वस्त्रों की उपलब्धता का संकेत देती है।
  4. उधारी का कम होना (Lower Borrowing):
    • कंपनी की उधारी (Borrowings) में अपेक्षाकृत कम वृद्धि हुई है। मार्च 2023 में, उधारी 3.28 करोड़ रुपये है, जो एक सकारात्मक संकेत हो सकता है कि कंपनी ने अपने उधारी को नियंत्रित किया है।

बुरा (Negative Points):

  1. कुल देनदारियों (Total Liabilities):
    • देनदारियों में बढ़ोतरी हुई है। 31 मार्च 2023 में कुल देनदारियां 82,261.74 करोड़ रुपये हैं, जबकि 31 मार्च 2022 में यह 75,092.50 करोड़ रुपये थीं, जो एक साल में बढ़ी हैं। यदि यह उधारी का एक बड़ा हिस्सा हो, तो यह कंपनी के लिए जोखिम बढ़ा सकता है।
  2. प्रोविज़न का उच्च स्तर:
    • कंपनी ने 1,621.13 करोड़ रुपये के प्रावधान (Provisions) दिखाए हैं, जो एक संकेत हो सकता है कि कंपनी को भविष्य में कुछ अनिश्चितताओं का सामना करना पड़ सकता है। यह एक निगेटिव पहलू हो सकता है यदि प्रावधानों में अत्यधिक वृद्धि होती है।
  3. घरेलू वाणिज्यिक ऋण:
    • घरेलू वाणिज्यिक ऋण और अन्य वित्तीय देनदारियां बढ़ी हैं, जो संकेत कर सकती हैं कि कंपनी ने अधिक उधारी ली है, जो भविष्य में पुनर्भुगतान में कठिनाई पैदा कर सकती है।
  4. रिटर्न इन्वेस्टमेंट (Return on Investment):
    • निवेश से आय में उतनी अधिक वृद्धि नहीं हुई, जितनी होनी चाहिए थी। निवेश में वृद्धि के बावजूद, इसकी रिटर्न पर नियंत्रण और लाभप्रदता सुनिश्चित नहीं दिखती है।

कुल मिलाकर, यह बैलेंस शीट दर्शाती है कि कंपनी की संपत्ति और उधारी में बढ़ोतरी हो रही है, जो एक सामान्य विकास को दिखाती है, लेकिन साथ ही, कर्ज और देनदारियों की वृद्धि से वित्तीय दबाव भी हो सकता है।

बैलेंस शीट कैसे पढ़ें: सामान्य गलतियाँ

  1. बैलेंस शीट को केवल कंपनी की स्थिति का एक snapshot समझना
    • कई लोग बैलेंस शीट को सिर्फ एक स्थिर स्थिति (snapshot) मानते हैं, जबकि यह एक खास समय में कंपनी के वित्तीय स्वास्थ्य को दिखाती है। बैलेंस शीट का विश्लेषण करने के लिए इसे अन्य वित्तीय रिपोर्ट्स जैसे प्रॉफिट एंड लॉस स्टेटमेंट और कैश फ्लो स्टेटमेंट के साथ देखना जरूरी है।
  2. बैलेंस शीट में केवल संपत्ति और देनदारियाँ दिखाई देती हैं
    • बैलेंस शीट में सिर्फ संपत्ति (Assets) और देनदारियाँ (Liabilities) नहीं होतीं, बल्कि इसमें स्वामित्व (Equity) का भी ब्योरा होता है, जो कंपनी के मालिकाना हक और उसके स्टेकहोल्डर्स के निवेश को दर्शाता है।
  3. देनदारियाँ को केवल ऋण के रूप में देखना
    • बहुत लोग बैलेंस शीट में देनदारियों को केवल ऋण समझते हैं, लेकिन यह एक गलत धारणा है। देनदारियाँ में शॉर्ट-टर्म लायबिलिटीज, लॉन्ग-टर्म लायबिलिटीज, अकाउंट्स पेबल्स, टैक्स देनदारी आदि शामिल हो सकते हैं, जिनका भुगतान समय पर किया जाना होता है।
  4. सिर्फ कुल संपत्ति को देखकर कंपनी के स्वास्थ्य का मूल्यांकन करना
    • कुल संपत्ति (Total Assets) का उच्च होना हमेशा सकारात्मक संकेत नहीं होता। इसके बजाय, आपको संपत्ति की गुणवत्ता और किस प्रकार की संपत्ति है, जैसे कि नकद, रियल एस्टेट या इन्फ्रास्ट्रक्चर की स्थिति को भी समझना चाहिए।
  5. वर्तमान संपत्ति और भविष्य के लाभ की गलत व्याख्या
    • बैलेंस शीट में मौजूद वर्तमान संपत्तियाँ (Current Assets) का मतलब यह नहीं है कि यह सभी नकद रूप में आसानी से प्राप्त हो जाएंगी। कुछ संपत्तियाँ लिक्विड नहीं होतीं और उन्हें नकद में बदलने में समय लग सकता है।
  6. कैश फ्लो और बैलेंस शीट को एक जैसा समझना
    • कैश फ्लो स्टेटमेंट और बैलेंस शीट दोनों अलग-अलग होते हैं। बैलेंस शीट में कंपनी की वित्तीय स्थिति का ब्योरा होता है, जबकि कैश फ्लो स्टेटमेंट में नकदी के आना-जाना (इनफ्लो और आउटफ्लो) का विवरण होता है।
  7. स्वामित्व (Equity) को सिर्फ शेयरधारकों के निवेश के रूप में देखना
    • स्वामित्व को केवल शेयरधारकों का निवेश समझना गलत है। इसमें कंपनी के संचयी लाभ, रिजर्व, रिटेन्ड अर्निंग्स और अन्य निवेश भी शामिल होते हैं, जो कंपनी के विकास में योगदान करते हैं।
  8. न्यूनतम या नकारात्मक इक्विटी का मतलब हमेशा घाटा समझना
    • नकारात्मक या कम इक्विटी (Negative Equity) का मतलब हमेशा घाटा नहीं होता। कभी-कभी यह स्थिति संपत्ति में भारी निवेश के कारण उत्पन्न होती है, लेकिन कंपनी की आमदनी और भविष्य में लाभ की संभावनाएँ इसे सही बना सकती हैं।
  9. बैलेंस शीट में वृद्धि का मतलब हमेशा कंपनी का प्रदर्शन अच्छा होना
    • बैलेंस शीट में बढ़त का मतलब यह नहीं कि कंपनी का प्रदर्शन अच्छा है। अगर बढ़ी हुई देनदारियाँ और लायबिलिटीज से कंपनी की वित्तीय स्थिति दबाव में आ रही है, तो इसे जोखिम के रूप में देखा जा सकता है।
  10. कंपनी के सभी व्यावसायिक निर्णय बैलेंस शीट से अनुमानित करना
    • बैलेंस शीट एक महत्वपूर्ण वित्तीय दस्तावेज है, लेकिन इससे कंपनी के भविष्य के व्यावसायिक निर्णयों का अनुमान लगाना मुश्किल हो सकता है। इसके लिए अन्य वित्तीय दस्तावेजों और बाजार की स्थिति को ध्यान में रखना जरूरी है।

Important FAQ

बैलेंस शीट में क्या-क्या जानकारी होती है?

बैलेंस शीट में मुख्यतः तीन खंड होते हैं: संपत्तियाँ (Assets), देनदारियाँ (Liabilities), और शेयरधारकों की इक्विटी (Shareholders’ Equity)।

संपत्तियाँ और देनदारियाँ में क्या अंतर है?

संपत्तियाँ वे चीजें हैं जो कंपनी के पास हैं और जिनसे भविष्य में लाभ की उम्मीद होती है। देनदारियाँ वह धन है जिसे कंपनी को किसी को चुकता करना होता है।

शेयरधारकों की इक्विटी क्या दर्शाती है?

शेयरधारकों की इक्विटी वह राशि है जो कंपनी के मालिकों के पास होती है, और यह संपत्तियों से देनदारियों को घटाने के बाद बची हुई रकम है।

कंपनी की वित्तीय स्थिति का अनुमान कैसे लगाएं?

बैलेंस शीट को देखकर आप कंपनी के नकद प्रवाह, ऋण स्तर, और आय की स्थिरता का आकलन कर सकते हैं। यह आपको कंपनी के वित्तीय स्वास्थ्य की स्थिति दिखाता है।

क्या बैलेंस शीट से निवेशक को लाभ होता है?

हां, बैलेंस शीट से निवेशक यह जान सकते हैं कि कंपनी के पास कितनी संपत्तियाँ हैं, उसकी देनदारियाँ कितनी हैं, और उसके पास कितनी इक्विटी बची हुई है, जो भविष्य में निवेश निर्णय लेने में मदद करता है।

Conclusion

कंपनी की बैलेंस शीट पढ़ना एक महत्वपूर्ण कौशल है, जो निवेशकों, व्यवसायियों और वित्तीय विश्लेषकों के लिए बेहद उपयोगी होता है। इस आर्टिकल में बताए गए बुनियादी पहलुओं को समझकर आप बैलेंस शीट के आंकड़ों को बेहतर तरीके से विश्लेषित कर सकते हैं और सही वित्तीय निर्णय ले सकते हैं। ध्यान रखें कि बैलेंस शीट अकेले निर्णय लेने के लिए पर्याप्त नहीं होती, बल्कि अन्य वित्तीय रिपोर्ट्स के साथ इसे संयोजित करना चाहिए।

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