शेयर बाजार क्यों गिर रहा है यह समझना इसलिए जरूरी है क्योंकि शेयर बाजार में गिरावट के सही कारण न पता होने से कई बार निवेशकों को भारी नुकसान का सामना करना पड़ सकता है।
कई बार निवेशक तनाव में आकर जल्दी शेयर बेचकर निकल जाते है और उनके बाहर निकलते ही वापस बाजार वापस ऊपर उछल जाता है। और कई बार सही कारण पता न होने पर निवेशक बाजार में देर तक बने रहते है और stock market और नीचे की जाता रहता है। दोनों ही परिस्थितियों में निवेशक का लाभांश कम हो जाता है।
इसीलिए इस ब्लॉग पोस्ट में हम विस्तार से यह समझेंगे कि भारतीय शेयर बाजार गिरने के कारण क्या हैं और इससे कैसे निपटा जा सकता है।
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शेयर बाजार क्यों गिर रहा है? (Reasons Behind the Decline of Stock Market)
भारत का शेयर बाजार पिछले कुछ वर्षों से उच्चतम स्तर पर रहा है, लेकिन अचानक गिरावट आना किसी भी निवेशक के लिए चिंताजनक होता है। भारतीय शेयर बाजार में गिरावट के कई कारण हो सकते हैं, जो आर्थिक, राजनीतिक, और वैश्विक परिस्थितियों से जुड़े होते हैं।
1. वैश्विक आर्थिक स्थिति का प्रभाव
भारतीय शेयर बाजार केवल घरेलू कारकों से प्रभावित नहीं होता, बल्कि वैश्विक घटनाओं का भी बड़ा असर होता है। उदाहरण के तौर पर, अमेरिका, यूरोप, या चीन में आर्थिक मंदी या राजनीतिक अस्थिरता होने से भारतीय बाजार पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। जब वैश्विक आर्थिक संकेतक नकारात्मक होते हैं, तो विदेशी निवेशकों का विश्वास घटता है, जिससे विदेशी पूंजी भारत से बाहर निकलने लगती है, और बाजार में गिरावट आती है।
उदाहरणार्थ COVID-19 महामारी ने दुनिया भर में आर्थिक संकट पैदा किया था, और भारतीय शेयर बाजार भी इससे बच नहीं सका। महामारी के कारण, देशों में लॉकडाउन की स्थिति बनी, जिससे व्यापारिक गतिविधियाँ रुक गईं और वैश्विक अर्थव्यवस्था मंदी के दौर में चली गई।
2. घरेलू राजनीतिक अस्थिरता
भारत में राजनीतिक अस्थिरता या सरकार द्वारा लागू किए गए नीतिगत बदलाव भी बाजार को प्रभावित करते हैं। उदाहरण के लिए, चुनावी अनिश्चितताएँ, बड़े सरकार के फैसले (जैसे जीएसटी, नोटबंदी) या विदेशी नीतियों में बदलाव, निवेशकों के मनोबल को प्रभावित कर सकते हैं। जब राजनीतिक अस्थिरता होती है, तो निवेशक अधिक जोखिम लेने से बचते हैं और अधिक सुरक्षित निवेश विकल्पों की ओर रुख करते हैं।
3. ब्याज दरों में बढ़ोतरी
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने 2018 में महंगाई दर को नियंत्रित करने के लिए ब्याज दरों में बढ़ोतरी की थी। जब ब्याज दरें बढ़ती हैं, तो कर्ज महंगा हो जाता है, जिससे उपभोक्ता खर्च घटता है और कंपनियों के लिए भी पूंजी जुटाना महंगा हो जाता है। इसका असर भारतीय शेयर बाजार पर पड़ा। RBI द्वारा रेपो रेट (ब्याज दर) का बढ़ाया जाना भी शेयर बाजार गिरने के कारण, खासकर उन कंपनियों के स्टॉक्स में जिनकी बढ़ती लागत पर असर पड़ा था। इससे निवेशकों का विश्वास कमजोर पड़ा, और बाजार में बिकवाली शुरू हो गई।
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) जब ब्याज दरें बढ़ाता है, तो इसका सीधा असर शेयर बाजार पर पड़ता है। उच्च ब्याज दरों का मतलब है कि कंपनियों का कर्ज महंगा हो जाएगा और उपभोक्ताओं का खर्च कम होगा, जिससे कंपनी के मुनाफे में कमी आ सकती है। इसके अलावा, उच्च ब्याज दरें बांड और अन्य सुरक्षित निवेशों को अधिक आकर्षक बना देती हैं, और शेयरों में निवेश कम हो जाता है।
4. महंगाई दर और उपभोक्ता खर्च
महंगाई दर का बढ़ना भी शेयर बाजार गिरने के कारण है। जब महंगाई अधिक होती है, तो उपभोक्ताओं के खर्च में कमी आती है, जिससे कंपनियों के मुनाफे पर प्रतिकूल असर पड़ता है। इसके अलावा, महंगाई से निपटने के लिए RBI की नीतियों में बदलाव की संभावना भी बढ़ जाती है, जो बाजार को और भी अस्थिर बना सकता है।
जिस प्रकार भारत में 2022 में महंगाई दर में अचानक वृद्धि हुई, खासकर खाद्य वस्तुओं और ईंधन के दामों में। इसके चलते उपभोक्ताओं की खरीदारी क्षमता कम हुई और कंपनियों के मुनाफे पर दबाव पड़ा। उदाहरण के तौर पर, खुदरा कंपनियों जैसे DMart और Reliance Retail के शेयरों में गिरावट देखी गई, क्योंकि महंगाई के कारण उपभोक्ता खर्च कम हो गया था। इसने निवेशकों को चिंता में डाल दिया और वे जोखिम कम करने के लिए अपनी निवेश रणनीतियों को बदलने लगे, जिससे बाजार में गिरावट आई।
5. विदेशी निवेशकों का घटता निवेश
भारत में विदेशी निवेशकों का निवेश शेयर बाजार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। जब विदेशी संस्थाएँ (FIIs) भारतीय शेयर बाजार से अपनी पूंजी निकालने लगती हैं, तो बाजार में गिरावट आ जाती है। विदेशी निवेशक आमतौर पर भारत के बढ़ते जोखिम, कर नीतियों, या वैश्विक अस्थिरता के कारण अपनी पूंजी निकाल सकते हैं।
आपको याद होगा कि रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध (2022) ने वैश्विक आर्थिक अस्थिरता को बढ़ा दिया। इस संकट के दौरान, विदेशी निवेशकों ने भारतीय शेयर बाजार से अपनी पूंजी बाहर निकाल ली, क्योंकि वे एक अस्थिर वैश्विक माहौल में जोखिम लेने से बच रहे थे।
6. कंपनियों के वित्तीय प्रदर्शन में गिरावट
कभी-कभी बाजार गिरने का कारण केवल राष्ट्रीय या अंतरराष्ट्रीय घटना नहीं होती, बल्कि यह कंपनियों के वित्तीय प्रदर्शन से जुड़ा होता है। यदि प्रमुख कंपनियों के तिमाही परिणाम उम्मीद से कम आते हैं, तो निवेशकों का विश्वास टूटता है, और यह बाजार में गिरावट की वजह बनता है।
उदाहरणार्थ जब भारतीय आईटी सेक्टर की प्रमुख कंपनी TCS (Tata Consultancy Services) ने 2023 की तिमाही में उम्मीद से कम परिणाम घोषित किए, तो इसका असर पूरे आईटी सेक्टर पर पड़ा।
7. संकट और प्राकृतिक आपदाएँ
प्राकृतिक आपदाएँ, जैसे बाढ़, सूखा, या महामारी जैसी घटनाएँ भी भारतीय शेयर बाजार को प्रभावित करती हैं। COVID-19 महामारी इसका प्रमुख उदाहरण है, जिसने भारतीय अर्थव्यवस्था को हिला दिया और शेयर बाजार में भारी गिरावट आई।
हाल ही में जब 2022 में भारत के कई हिस्सों में बाढ़ और सूखा जैसे प्राकृतिक आपदाएँ आईं, जिससे कृषि उत्पादों की आपूर्ति प्रभावित हुई। इससे खाद्य कीमतों में वृद्धि हुई और उत्पादन में कमी आई, जिससे अर्थव्यवस्था पर दबाव पड़ा।
8. तकनीकी कारक और निवेशकों की भावनाएँ
शेयर बाजार में अक्सर भावना-driven (मनोवृत्तियों पर आधारित) उतार-चढ़ाव होते हैं। तकनीकी विश्लेषण और बाजार में अत्यधिक अस्थिरता के कारण छोटे और मंझले निवेशक हड़बड़ी में शेयर बेच सकते हैं, जिससे और गिरावट आती है।
9. डॉलर की कीमत में उतार-चढ़ाव
भारतीय रुपये का डॉलर के मुकाबले मूल्य गिरने से भी शेयर बाजार में गिरावट हो सकती है। इससे आयातित वस्तुओं की कीमतों में बढ़ोतरी होती है, और कंपनियों के मुनाफे पर दबाव पड़ता है। इसके अलावा, डॉलर के मुकाबले रुपये में कमजोरी से विदेशी निवेशकों का निवेश घट सकता है।
10. बाजार में अत्यधिक अटकलें और बुलबुले
कभी-कभी शेयर बाजार में निवेशकों के बीच अतिवादी अटकलें चलती हैं, जिससे एक तरह का “बुलबुला” बन जाता है। जब यह बुलबुला फूटता है, तो बाजार में तेज गिरावट आती है। यह स्थिति आमतौर पर तब होती है जब कोई विशेष सेक्टर या स्टॉक बहुत अधिक ओवरवैल्यूड हो जाता है और अचानक उसमें सुधार होता है।
शेयर बाजार में गिरावट से बचने के उपाय
Diversified Portfolio (विविध निवेश पोर्टफोलियो):
किसी भी एक सेक्टर में अधिक निवेश करने की बजाय, विभिन्न क्षेत्रों और स्टॉक्स में निवेश करना बेहतर
Risk Management (जोखिम प्रबंधन):
निवेशकों को अपने जोखिम को समझकर निवेश करना चाहिए और बाजार के उतार-चढ़ाव से बचने के लिए एक स्पष्ट रणनीति बनानी चाहिए।
Research and Patience (अनुसंधान और धैर्य):
बाजार में गिरावट के समय में जल्दबाजी करने के बजाय, निवेशकों को अपने निवेश की समीक्षा करनी चाहिए और यदि आवश्यक हो, तो दीर्घकालिक दृष्टिकोण अपनाना चाहिए।
FAQs
भारतीय शेयर बाजार क्यों गिर रहा है?
भारतीय शेयर बाजार गिरने के कई कारण हो सकते हैं, जैसे वैश्विक आर्थिक स्थिति, राजनीतिक अस्थिरता, उच्च ब्याज दरें, विदेशी निवेशकों की पूंजी निकासी, और कंपनियों के वित्तीय परिणामों में गिरावट।
क्या भारतीय शेयर बाजार में गिरावट निवेशकों के लिए अच्छा अवसर है?
हां, अगर आप दीर्घकालिक निवेशक हैं, तो गिरावट के समय अच्छा स्टॉक खरीदने का अवसर हो सकता है। हालांकि, यह स्थिति पूरी तरह से आपकी निवेश रणनीति पर निर्भर करती है।
शेयर बाजार गिरने से निवेशक क्या कर सकते हैं?
निवेशकों को घबराने की बजाय अपने निवेश पोर्टफोलियो का पुनर्मूल्यांकन करना चाहिए और आवश्यकतानुसार अपनी रणनीति में बदलाव करना चाहिए।
क्या भारतीय शेयर बाजार के गिरने से भारत की अर्थव्यवस्था पर प्रभाव पड़ता है?
हालांकि भारतीय शेयर बाजार गिरने से निवेशक विश्वास खो सकते हैं, लेकिन यह केवल एक संकेतक है और भारतीय अर्थव्यवस्था का संपूर्ण रूप नहीं दर्शाता।
क्या बाजार में गिरावट से पहले चेतावनी संकेत मिलते हैं?
हां, अक्सर बाजार में गिरावट से पहले कुछ संकेत होते हैं जैसे कि उच्च मंहगाई, मंदी के संकेत, राजनीतिक अस्थिरता या कंपनियों के परिणामों में गिरावट।
Disclaimer
यह ब्लॉग पोस्ट केवल जानकारीपूर्ण उद्देश्यों के लिए है और इसमें दी गई जानकारी किसी निवेश सलाह के रूप में नहीं मानी जानी चाहिए। निवेश से जुड़े निर्णय लेने से पहले कृपया एक वित्तीय सलाहकार से परामर्श लें।