म्यूचुअल फंड में Expense Ratio कितना होना चाहिए, कम कैसे करें?

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mutual fund ka expense ratio kitna hona chahiye

आजकल म्यूचुअल फंड्स निवेशकों के लिए एक लोकप्रिय निवेश विकल्प बन गए हैं। हालांकि, जब आप म्यूचुअल फंड में निवेश करते हैं, तो आपको कुछ महत्वपूर्ण पहलुओं का ध्यान रखना होता है। इनमें से एक प्रमुख पहलू है Expense Ratio

यह उन निवेशकों के लिए एक महत्वपूर्ण टर्म है जो म्यूचुअल फंड्स में निवेश करने की सोच रहे हैं। इस आर्टिकल में, हम आपको बताएंगे कि Expense Ratio क्या होता है, म्यूचुअल फंड में Expense Ratio कितना होना चाहिए, और इससे आपके निवेश पर क्या असर पड़ता है।

म्यूचुअल फंड में Expense Ratio क्या है?

Expense Ratio म्यूचुअल फंड की वह फीस होती है जो उसे अपनी प्रबंधन और प्रशासनिक गतिविधियों को चलाने के लिए लगती है। यह सभी शॉर्ट-टर्म म्यूचुअल फंड और लॉन्ग-टर्म म्यूचुअल फंड में भी लगता है।

यह फीस फंड के कुल एसेट्स का एक निश्चित प्रतिशत होती है। इसका उद्देश्य फंड मैनेजर की सैलरी, रिसर्च, विज्ञापन, और अन्य ऑपरेशनल खर्चों को कवर करना है।

Expense Ratio में निम्न खर्च शामिल है

  • फंड मैनेजमेंट फीस
  • प्रशासनिक खर्चे
  • मार्केटिंग और प्रचार
  • अन्य ऑपरेशनल खर्चे

म्यूचुअल फंड में Expense Ratio कितना होना चाहिए?

अब बात करते हैं कि Expense Ratio कितना होना चाहिए। म्यूचुअल फंड का Expense Ratio सामान्यत: एकदम कम या बहुत अधिक नहीं होना चाहिए। एक अच्छा Expense Ratio निवेशक के रिटर्न को सीधे प्रभावित करता है।

म्यूचुअल फंड में Expense Ratio की सीमा

  1. इक्विटी फंड्स (Equity Funds)
    • आमतौर पर 0.5% से 2% के बीच होता है।
  2. डेब्ट फंड्स (Debt Funds)
    • यह 0.2% से 1% के बीच होता है।
  3. हाइब्रिड फंड्स (Hybrid Funds)
    • 0.5% से 1.5% के बीच हो सकता है।

इन रेंज के अंदर Expense Ratio आदर्श माना जाता है। हालांकि, ध्यान देने योग्य बात यह है कि अगर Expense Ratio बहुत कम होता है, तो फंड का प्रबंधन प्रभावित हो सकता है। इसलिए, एक संतुलित Expense Ratio होना चाहिए।

नीचे म्यूचुअल फंड की अलग-अलग कैटेगरी के अनुसार Expense Ratio का सामान्य विवरण एक टेबल में दिया गया है।

म्यूचुअल फंड कैटेगरीExpense Ratio (सामान्य रूप से)
लार्ज-कैप इक्विटी फंड1.0% – 2.0%
मिड-कैप इक्विटी फंड1.5% – 2.5%
स्मॉल-कैप इक्विटी फंड1.5% – 2.5%
इंडेक्स फंड/ETF0.15% – 1.0%
डेब्ट फंड0.5% – 1.5%
हाइब्रिड फंड1.0% – 2.0%
लिक्विड फंड0.2% – 1.0%
गिल्ट फंड0.5% – 1.5%
इंटरनेशनल फंड्स1.5% – 3.0%
टैक्स-सेवर फंड (ELSS)1.5% – 2.5%

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म्यूचुअल फंड का Expense Ratio आपके रिटर्न पर कैसे असर डालता है?

म्यूचुअल फंड का Expense Ratio आपके रिटर्न पर कैसे असर डालता है चलिए इसे एक उदाहरण से समझते है।

मान लीजिए, आपके पास 2 फंड्स हैं:

  1. फंड A – Expense Ratio: 1.5%
  2. फंड B – Expense Ratio: 0.5%

अब, आपको दोनों फंड्स में ₹1,00,000 का निवेश करना है। और मान लीजिए, दोनों फंड्स का औसत रिटर्न (बिना खर्च के) सालाना 10% है।

फंड A का 1.5% Expense Ratio

  • Expense Ratio का मतलब है कि आपको सालाना 1.5% खर्च के रूप में देना होगा, जो फंड की कुल लागत होती है।
  • तो, अगर फंड A का रिटर्न 10% है, तो असल में आपको रिटर्न मिलेगा:
    10% – 1.5% = 8.5%
  • इसका मतलब, आपके ₹1,00,000 में हर साल सिर्फ 8.5% का रिटर्न आएगा।

फंड B का 0.5% Expense Ratio

  • फंड B का Expense Ratio सिर्फ 0.5% है।
  • इसका मतलब, अगर फंड B का रिटर्न 10% है, तो आपको खर्च के बाद रिटर्न मिलेगा:
    10% – 0.5% = 9.5%
  • इसका मतलब, आपके ₹1,00,000 में हर साल 9.5% का रिटर्न आएगा।

5 साल का उदाहरण:

अब, अगर आप इन दोनों फंड्स में 5 साल तक निवेश करते हैं, तो देखते हैं कि आपके रिटर्न पर इसका क्या असर होगा:

फंड A (1.5% Expense Ratio)

  1. पहले साल: ₹1,00,000 × 1.085 = ₹1,08,500
  2. दूसरे साल: ₹1,08,500 × 1.085 = ₹1,17,322.5
  3. तीसरे साल: ₹1,17,322.5 × 1.085 = ₹1,27,289.4
  4. चौथे साल: ₹1,27,289.4 × 1.085 = ₹1,38,460.7
  5. पांचवे साल: ₹1,38,460.7 × 1.085 = ₹1,50,874.1

कुल रिटर्न (5 साल बाद) = ₹1,50,874.1

फंड B (0.5% Expense Ratio)

  1. पहले साल: ₹1,00,000 × 1.095 = ₹1,09,500
  2. दूसरे साल: ₹1,09,500 × 1.095 = ₹1,19,102.5
  3. तीसरे साल: ₹1,19,102.5 × 1.095 = ₹1,30,133.2
  4. चौथे साल: ₹1,30,133.2 × 1.095 = ₹1,42,715.2
  5. पांचवे साल: ₹1,42,715.2 × 1.095 = ₹1,56,268.6

कुल रिटर्न (5 साल बाद) = ₹1,56,268.6

निष्कर्ष:

  • फंड A में 1.5% का Expense Ratio होने की वजह से आपको ₹1,50,874 का कुल रिटर्न मिलेगा।
  • फंड B में 0.5% का Expense Ratio होने की वजह से आपको ₹1,56,268 का कुल रिटर्न मिलेगा।

अंतर: ₹1,56,268 – ₹1,50,874 = ₹5,394 ज्यादा रिटर्न।

इससे साफ है कि कम Expense Ratio वाला फंड आपको ज्यादा रिटर्न देता है, क्योंकि उस पर खर्च कम होता है और आपका पैसा ज्यादा समय तक काम करता है।

म्यूचुअल फंड का Expense Ratio कैसे कम किया जा सकता है?

म्यूचुअल फंड का Expense Ratio एक ऐसा खर्च है जो फंड के प्रबंधन, प्रचार और प्रशासन से संबंधित होता है। आमतौर पर, आप इसका सीधे तौर पर नियंत्रण नहीं कर सकते, लेकिन कुछ तरीके हैं जिनसे आप कम Expense Ratio वाले फंड्स चुन सकते हैं और अपने निवेश पर होने वाले खर्च को कम कर सकते हैं।

1. Direct Plans में निवेश करें

म्यूचुअल फंड्स में Direct Plans और Regular Plans दोनों होते हैं।

  • Regular Plans में खर्च ज्यादा होता है क्योंकि इसमें Distributor (जो निवेशक को फंड खरीदने में मदद करता है) को कमीशन मिलता है।
  • Direct Plans में कोई कमीशन नहीं होता और इसलिए इनके Expense Ratio कम होते हैं।

अगर आप खुद म्यूचुअल फंड्स को समझते हैं और निवेश प्रक्रिया में सक्षम हैं, तो Direct Plan का चयन करें। इस तरह से आप अपने रिटर्न पर होने वाले खर्च को कम कर सकते हैं।

2. कम खर्च वाले फंड्स का चयन करें (Index Funds & ETFs)

  • Index Funds और ETFs (Exchange-Traded Funds) आमतौर पर Active Funds (जिन्हें फंड मैनेजर द्वारा सक्रिय रूप से प्रबंधित किया जाता है) से सस्ते होते हैं, क्योंकि इन्हें चलाने में कम मेहनत और कम खर्च आता है।
  • Index Funds उन इंडेक्स (जैसे Nifty 50 या Sensex) को ट्रैक करते हैं और इन्हें ऑपरेट करने के लिए ज्यादा सक्रिय प्रबंधन की जरूरत नहीं होती, इसलिये इनका Expense Ratio बहुत कम होता है।
  • ETFs भी इसी तरह काम करते हैं और इनका भी खर्च कम होता है, क्योंकि इन फंड्स का उद्देश्य केवल बाजार इंडेक्स का अनुसरण करना होता है, न कि सक्रिय रूप से निवेश करना।

3. Passive Funds में निवेश करें

Passive Funds, जैसे कि Index Funds और ETFs, कम खर्चीले होते हैं क्योंकि इन फंड्स को सक्रिय रूप से प्रबंधित नहीं किया जाता।

  • इन फंड्स में Expense Ratio कम होता है और ये कम खर्चे पर निवेशकों को अच्छा रिटर्न देने का प्रयास करते हैं।
  • अगर आपका लक्ष्य लंबी अवधि का निवेश है, तो Passive Funds आपके लिए एक बेहतरीन विकल्प हो सकते हैं।

4. फंड मैनेजमेंट की जरूरतों को समझें

कुछ फंड्स में बहुत अधिक फंड मैनेजर और विशेषज्ञों का इन्वॉल्वमेंट होता है, जो उच्च खर्च का कारण बनता है।

  • यदि फंड का प्रबंधन अधिक जटिल है, तो खर्च भी अधिक होगा।
  • यदि फंड मैनेजमेंट की जरूरतें कम हैं, तो आपको कम Expense Ratio मिलेगा।

5. लंबे समय तक निवेश करें

एक दीर्घकालिक निवेशक के रूप में, आप छोटे खर्च को समझते हुए इसे लंबे समय में नज़रअंदाज कर सकते हैं। यदि आपके पास एक लंबा निवेश समय है, तो भले ही फंड का Expense Ratio थोड़ा अधिक हो, लेकिन लंबे समय में रिटर्न आपको बेहतर मिल सकते हैं।

इस प्रकार आशा है कि अब आप समझ चुके होंगे कि म्यूचुअल फंड में Expense Ratio कितना है सही होता है।

Disclaimer

यह लेख केवल शैक्षणिक और सूचना प्रदान करने के उद्देश्य से लिखा गया है। निवेश से जुड़े निर्णय लेने से पहले अपने वित्तीय सलाहकार से परामर्श लें। म्यूचुअल फंड बाजार जोखिमों के अधीन होते हैं। किसी भी निवेश से पहले योजना की पेशकश दस्तावेज़ और संबंधित शर्तों को ध्यानपूर्वक पढ़ें।

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