अगर आप Share मार्केट या स्टॉक मार्केट में शुरुआत कर रहें है तो सबसे पहले आपको सारे बेसिक क्लियर कर लेने चाहिए। क्यूंकि अगर आपके बेसिक क्लियर नहीं हैं तो आपको नुकसान भी हो सकता है शेयर क्या होते हैं और कितने प्रकार के होते हैं? ये सब बेसिक में ही आता है।
स्टॉक मार्केट या शेयर मार्केट में सफल होने के लिए इसकी जानकारी होना बहुत ही आवश्यक है। इसमें आपको बेसिक क्लियर करने के बाद निरंतर रूप से सीखते रहना होगा। निरंतर रूप से सीखने से आप शेयर मार्केट में सफलता प्राप्त कर सकतें हैं।
आज के इस पोस्ट में हम शेयर क्या होते हैं? शेयर कितने प्रकार के होते हैं? इनमें अंतर और शेयर खरीदने के फायदे आदि और भी टॉपिक पर जानकारी देंगे लेख को अंत तक पढ़े आज आपको कुछ नया जानने को मिलेगा।
शेयर क्या होते हैं?
शेयर का हिंदी अर्थ होता है हिस्सा। स्टॉक मार्केट में कंपनी अपने शेयर्स जारी करती है यानी की अपनी कंपनी के हिस्से जारी करती है जिन्हे लोग खरीद कर कंपनी के कुछ हिस्सेदार बनते हैं।
शेयर्स किसी कंपनी की पूरी कैपिटल के वो हिस्से होते हैं जिन्हें बराबर हिस्सो मे बांटा जाता है इन्हीं हिस्सो को शेयर्स कहा जाता है शेयर्स खरीदने वाले को Share Holder (शेयर धारक) कहते हैं। शेयर्स का प्राइस कंपनी की कैपिटल और शेयर्स की संख्या के हिसाब से डिसाइड होता है।
कंपनी के द्वारा जारी किए गए शेयर्स की कीमत बराबर होती है जैसे किसी कंपनी ने 1000 शेयर्स निकाले तो सभी की कीमत समान होगी।
शेयर्स को सही से समझाने के लिए उदाहरण देखिए
मान लेते है किसी कंपनी की पूरी कैपिटल 10,000 रुपए है कंपनी अपनी कैपिटल को 1000 भागो में बांटती है। 10,000 / 1000 = 10 तो एक कैपिटल की कीमत 10 रुपए हुई। और ये 1000 कंपनी के शेयर्स हुए यानी की एक शेयर की कीमत 10 रुपए हुई।
कम शेयर खरीदने वालों को शेयर होल्डर कहते हैं और जिसने कंपनी के सबसे ज्यादा शेयर्स खरीदे हुए होते है उसे प्रमोटर कहते हैं।
शेयर मार्केट में शेयर हिस्से का मतलब क्या होता है?
शेयर मार्केट में शेयर हिस्से का मतलब होता है कंपनी के शेयर्स खरीद कर उसके बिजनेस में हिस्सेदार बन जाना आप जितने कंपनी के शेयर खरीदेंगे उतने ही कंपनी के हिस्सेदार बन जायेंगे जितना कंपनी को बिजनेस में फायदा होगा उतना ही आपको भी होगा।
उदाहरण आपने किसी कंपनी के 100 शेयर 10 रुपए के हिसाब से खरीदे 100*10=1000 रुपए आपने कंपनी में निवेश किए अब कंपनी में जो भी फायदा नुकसान होगा तब आपको 1000 रुपए के हिसाब से फायदा नुकसान होगा।
जैसे आपने 10 रुपए में शेयर्स खरीदे थे अब शेयर्स का प्राइस 20 रुपए है तो 100*20=2000 रुपए आपको 1000 रुपए का फायदा हुए शेयर्स की कीमत फिक्स नही होती घटती बढ़ती रहती है।
शेयर्स की कीमत सिर्फ कमानी के प्रदर्शन पर ही नहीं बल्कि पूरी मार्केट प्रदर्शन पर निर्भर करती है। कई बार ऐसा होता है कंपनी अच्छा प्रदर्शन करती है फिर भी उसके शेयर प्राइस में गिरावट होती है।
कंपनियों का शेयर्स जारी करने का कारण?
आपके मन में ये सवाल जरूर आया होगा की आखिर कंपनियां शेयर्स क्यों जारी करती है इसका क्या कारण हो सकता है हम आपको बताते है।
जब कंपनियां अच्छा परफार्म करती है तब उन्हें अपने बिजनेस को बढ़ाने के लिए बहुत सारे पैसों की जरूरत होती है ऐसा नही है कंपनी को बैंक से लोन नही मिलेगा। कंपनी बैंक से इसलिए लोन नही लेती क्यूंकि वहां पर ब्याज देना होगा चाहे काम चले या ना चले।
लेकिन शेयर जारी करने के बाद कंपनी इन्वेस्टर को अपने बिजनेस में हिस्सेदार बना लेती है इसमें कंपनी को ये फायदा होता है अगर कंपनी को बिजनस में फायदा होगा तो वो इन्वेस्टर को भी उसके शेयर्स के हिसाब से मुनाफा देगी और अगर कंपनी को घाटा होगा तो वो इन्वेस्टर को भी होगा।
अगर कंपनी बैंक से लोन लेती तो उसे हर हाल में पूरे पैसे लौटाने होते चाहें काम चल रहा हो या नहीं अब आप समझ गए होंगे कंपनिया शेयर्स क्यों जारी करती हैं।
एक शेयर की कीमत कितनी होती है?
ये फिक्स नहीं है है कंपनी के शेयर्स की कीमत अलग अलग होती है और ये घटती बढ़ती भी रहती है इसलिए ये क्लियर बता पाना मुश्किल है शुरुआत में जब कंपनी शेयर्स निकलती है तब उसको जितनी कैपिटल चाहिए होती है उसी हिसाब से शेयर्स और उसके प्राइस डिसाइड होते हैं जैसे
कंपनी को 50 लाख रुपए की जरूरत है तो कंपनी 50 हजार शेयर 100 रुपए एक शेयर के हिसाब से जारी करेगी। और आगे चलकर कंपनी अच्छा प्रदर्शन कर रही है और मार्केट भी अच्छी चल रही है तो शेयर का प्राइस 100 से 150 भी हो सकता है और अच्छा नही कर रही तो शेयर्स का प्राइस 100 से 80 या 50 भी हो सकता है।
शेयर कितने प्रकार के होते हैं?
शेयर तीन प्रकार के होते है :
- इक्विटी शेयर (Equity Share)
- प्रेफरेंस शेयर (Preference Share)
- डीवीआर शेयर (DVR Share)
चलिए इन्हें विस्तार से जानतें हैं –
इक्विटी शेयर क्या है?
इक्विटी शेयर को आर्डिनरी शेयर, कॉमन स्टॉक के नाम से भी जाना जाता है ज्यादातर कंपनियां इक्विटी शेयर्स ही जारी करती हैं। इसमें शेयर होल्डर कंपनी के लाभ और हानि के साथ जुड़े हुए होते हैं।
ये शेयर्स कंपनी और बाजार के प्रदर्शन के आधार पर मार्केट में Buy और Sell के लिए उपलब्ध होते हैं। जिन शेयर्स को कोई भी इन्वेस्टर खरीद सकता है और बाद में बेच भी सकता हैं।
इक्विटी शेयर उदाहरण
मान लेते हैं XYZ लिमिटेड एक कंपनी है जो होम प्रोडक्ट बनाती है कंपनी का अच्छा बिजनेस चल रहा है कंपनी एक कर इकाई बनाना चाहती है जिसके लिए उसे पैसे चाहिए होंगे इसलिए वो शेयर्स जारी करेगी जिससे उसके पास पैसे आ जायेंगे।
अब इन्वेस्टर XYZ कंपनी के शेयर खरीदकर उसके भविष्य में होने वाले लाभ के हिस्सेदार बन जायेंगे भविष्य में कंपनी ने अच्छा परफॉर्म किया तो इन्वेस्टर के शेयर्स का प्राइस तो बढ़ेगा ही साथ ही उन्हें डिविडेंट का भी फायदा होगा।
डिवीडेंट यानी की इस साल आपके द्वारा लगाई गई कुल रकम पर जो ब्याज मिला है वो अगले साल कुल रकम और ब्याज दोनो को मिलाकर उस पर ब्याज मिलेगा।
आसान शब्दो में इस साल आपकी इन्वेस्टमेंट पर ब्याज मिला फिर आने वाले साल में इन्वेस्टमेंट और पिछले साल के ब्याज दोनो को मिलाकर ब्याज मिलेगा।
और अगर आप एक साल और इन्वेस्टमेंट करते है फिर तीनो यानी इन्वेस्टमेंट ब्याज और दूसरे साल का ब्याज सभी को मिलाकर जो रकम बनती है उसपर तीसरे साल ब्याज मिलेगा इसे ही डिविडेंट कहते हैं।
प्रेफरेंस शेयर क्या होता है?
ये शेयर्स जिन शेयर होल्डर्स के पास होते हैं उन्हें दूसरे शेयर होल्डर के मुकाबले ज्यादा प्राथमिकता दी जाती है लेकिन प्रेफरेंस शेयर होल्डर्स को कंपनी की मीटिंग में वोटिंग राइट प्राप्त नही होता है।
प्रेफरेंस शेयर होल्डर्स को डिविडेंट भी मिलता है लेकिन इन्हें इक्विटी शेयर होल्डर्स की तरह नही मिलता एक फिक्स डिविडेंट मिलता है। अगर कंपनी बंद होती है तो कंपनी पहले प्रेफरेंस शेयर होल्डर्स का पैसा रिकवर करेगी बाद में दूसरे शेयर होल्डर्स का।
प्रेफरेंस शेयर्स की वैल्यू कंपनी प्रदर्शन या मार्केट प्रदर्शन के आधार पर कम ज्यादा नही होती हैं ये पहले ही फिक्स रहती है और साथ ही इन्हे मिलने वाला डिविडेंट भी फिक्स रहता है।
प्रेफरेंस शेयर उदाहरण
ऊपर हमने XYZ कंपनी जो होम प्रोडक्ट बनाती है उसका उदाहरण लिया था अब उसमें कई प्रेफरेंस शेयर होल्डर भी होंगे अगर कंपनी को फायदा होता है तो सबसे पहले हिस्सा प्रेफरेंस शेयर होल्डर को दिया जाएगा बाद में इक्विटी शेयर होल्डर को।
और आगे जाकर कंपनी बंद होने वाली होती है या उसके सारे शेयर बेचे जाते है तो सबसे पहले प्रेफरेंस शेयर होल्डर का पैसा लौटाया जायेगा बाद में दूसरे शेयर होल्डर का।
प्रेफरेंस शेयर को तीन भागों में बांटा जाता है –
1. कम्युलेटिव प्रेफरेंस शेयर
इस प्रकार के शेयर होल्डर में कंपनी को नुकसान होने पर अगर कंपनी डिविडेंट नही दे पाती तो शेयर होल्डर के पास डिविडेंट का एरियर प्राप्त करने का अधिकार होता है।
2. नॉन कम्युलेटिव प्रेफरेंस शेयर
इस प्रकार के शेयर होल्डर को लाभ मिलने की स्थिति में ही डिविडेंट मिलने का अधिकार प्राप्त होता है इन्हे एरियर प्राप्त करने का अधिकार नहीं होता।
3. कन्वर्टिबल प्रेफरेंस शेयर
इस प्रकार के शेयर होल्डर के पास ये अधिकार होता है की वो आगे चलकर अपने प्रेफरेंस शेयर को इक्विटी शेयर में कन्वर्ट कर सकतें हैं।
डीवीआर शेयर क्या होता है?
DVR की फुल फॉर्म होती है Differential Voting Rights डिफरेंशियल वोटिंग राइट्स। डीवीआर शेयर होल्डर्स के पास कुछ वोटिंग अधिकार होते है वोटिंग अधिकार कम होते है लेकिन कंपनी डीवीआर शेयर होल्डर्स को डिविडेंट अच्छा देती है।
DVR शेयर होल्डर वोटिंग अधिकार का प्रयोग कंपनी की AGM एनुअल जनरल मीटिंग में वोट करके कर सकते हैं।
एजीएम (AGM) क्या होता है?
कंपनी हर साल एक मीटिंग का आयोजन करती है जिसमें कंपनी बताती है की आगे क्या करने वाली हैं, कंपनी की आगे की क्या योजना है, कंपनी आने वाले समय में कौन सी योजनाएं लाने वाली है, कंपनी ने पिछले साल क्या किया आदि और भी मुद्दों पर चर्चा होती है।
इस मीटिंग आपके पास भी कुछ अधिकार होते है जिनका प्रयोग आप वोट करके कर सकते हैं और अपना पक्ष भी रख सकते है इसे ही एजीएम एनुअल जनरल मीटिंग कहते हैं।
बोनस शेयर और राइट शेयर क्या है? Difference Between Right Shares and Bonus Shares in Hindi
बोनस शेयर और राइट शेयर क्या होते है और दोनो में क्या अंतर होता है हमने नीचे बताया है।
बोनस शेयर क्या होते हैं?
कई बार कंपनी अपने शेयर होल्डर को डिविडेंट के रूप में कुछ शेयर फ्री में दे देती है आसान शब्दों में कहें तो खरीदे हुए शेयर्स के अतिरिक्त जो फ्री में शेयर्स मिलते हैं इन्हे ही बोनस शेयर कहते हैं।
उदाहरण – हमने कंपनी के 100 शेयर्स खरीदे कंपनी ने बोनस के तौर पर हमें 10 शेयर्स फ्री में दे दिए ये बोनस शेयर होते है।
राइट शेयर क्या होते हैं?
राइट शेयर कंपनी उन्ही शेयर होल्डर के लिए जारी करती है जिन्होंने पहले से उनके शेयर खरीदे हुए है राइट शेयर जारी करने का कंपनी का मैन मकसद ये होता है जिससे मौजूदा शेयर होल्डर अपने स्वामित्व और अधिकारी की रक्षा कर सकें।
प्लेज शेयर क्या होते हैं?
प्लेज शेयर वो शेयर होते हैं जिन्हें कंपनी ऋणदाताओ के पास गिरवी रखती है और उनसे ऋण लेती है। शेयर होल्डर भी अपने शेयर्स को किसी दूसरी थर्ड पार्टी के पास गिरवी रख सकते है। वो भी प्लेज शेयर में आते हैं।
जो कंपनियां अपने शेयर को प्लेज करके रखती है उन कंपनियों में निवेश करने से बचना चाहिए ऐसी कंपनियों का भविष्य का कुछ पता नही होता।
आउटस्टैंडिंग शेयर क्या होते हैं?
आउटस्टैंडिंग शेयर कंपनी के वो शेयर होते है जो बाजार में उपलब्ध होते है आउटस्टैंडिंग शेयर निकालने के लिए इस फॉर्मूले का इस्तेमाल करें –
आउटस्टैंडिंग शेयर = कंपनी की मार्केट कैपिटल / शेयर का प्राइस
पेनी शेयर क्या होते हैं?
पेनी शेयर को पेनी स्टॉक भी कहते है ये वो शेयर होते हैं जो बहुत ही कम कीमत पर बिकते है जिनकी कीमत 1 रुपए से 10 रुपए हो सकती है। इन पेनी शेयर से हाई रिटर्न मिलता है लेकिन रिस्क भी बहुत हाई होता है।
इस प्रकार की कंपनी के ग्रोथ और स्टेबिलिटी के चांस बहुत कम होते हैं निवेशक को ऐसी कंपनी में निवेश करने से पहले फंडामेंटल एनालिसिस करना जरूरी होता है।
आए दिन पेनी स्टॉक से संबंधित धोखा धडी की खबरें न्यूज चैनलों में आती रहती है इसलिए पेनी शेयर में निवेश करने से पहले बहुत ही सावधानी से निवेश करें।
शेयर बायबैक क्या होते हैं?
शेयर बायबैक वो शेयर होते हैं जिन्हें कंपनी खुद मार्केट से खरीदती है यानी की कंपनी अपने द्वारा जारी किए गए शेयर्स को शेयर होल्डर्स से खुद खरीद लेती है। जिससे मार्केट में कंपनी के शेयर्स में कमी होती है और इस से कंपनी की वैल्यू बढ़ती हैं।
स्वेट शेयर क्या होते हैं?
किसी कंपनी द्वारा अपने कर्मचारियों को उनके काम से खुश होकर उन्हें पुरुस्कार के रूप में कुछ शेयर देती है उन्ही शेयर को स्वेट शेयर कहते हैं।
FAQ’s
शेयर से क्या होता है?
शेयर से कंपनी की हिस्सेदारी का प्रूफ होता है और शेयर से आप कंपनी के पार्टनर बन जाते हैं।
शेयर बेचने में कितना समय लगता है?
शेयर आप तुरंत बेच सकते है शेयर बेचने के बाद पैसा आपके डीमैट खाते में आता है और वहां से आप अपने बैंक अकाउंट में भेज सकते हैं इस प्रक्रिया में 3 दिन का समय लग जाता है।
शेयर खरीदने से क्या होता है?
शेयर खरीदने से आप कंपनी के लाभ और हानि में हिस्सेदार बन जाते हैं कंपनी को लाभ होगा तो आपको भी लाभ होगा।
शेयर कैसे खरीदते है?
शेयर खरीदने के लिए आपके पास डीमैट अकाउंट होना चाहिए डीमैट अकाउंट से आप शेयर खरीद सकते हैं।
एक शेयर कितने का होता है?
शेयर कंपनी के कैपिटल और आईपीओ के हिसाब से डिसाइड होती है एक शेयर 1 रुपए से लेकर 1 लाख रूपए तक होते हैं।
निष्कर्ष :
उम्मीद है आज के लेख से आप जान गए होंगे शेयर क्या होते हैं, शेयर कितने प्रकार के होते हैं, अगर आपको शेयर खरीदने है तो आप अच्छी कंपनी का चुनाव करें और उसकी पूरी जानकारी लें जैसे पिछले सालों में कंपनी का प्रदर्शन कैसा था उसके बाद ही शेयर खरीदें।
आपको जानकारी कैसी लगी कॉमेंट बॉक्स के जरिए अपनी राय जरूर दें और आपके मन में कोई सवाल है तो आप कॉमेंट बॉक्स के जरिए पूछ सकते हैं। शेयर मार्केट क्या होता है पूरी जानकारी हिंदी में|